कुतुब मीनार दिल्ली में स्थित एक स्तंभ या मीनार है, जो दुनिया की सबसे ऊंची ईंट की मीनार है। कुतुब मीनार की लंबाई 72.5 मीटर है और अगर पैरों में देखा जाए तो यह 238 फीट ऊंची है। कुतुब मीनार का निर्माण तेरहवीं शताब्दी की शुरुआत में पूरा हुआ था। 1193 में, कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस मीनार का निर्माण शुरू किया था। कुतुबमीनार को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया है।
कुतुब मीनार की इमारत में एक लोहे का खंभा है। इस लोहे के खंभे के जंग प्रतिरोध से वैज्ञानिक दंग रह गए। कुतुब मीनार भूकंप और तूफान से कई बार क्षतिग्रस्त हो चुकी है। 1981 से पहले भी जनता को स्मारक में प्रवेश की अनुमति थी। हालांकि, 1981 में एक गंभीर दुर्घटना के बाद से आंतरिक विभाग में सार्वजनिक पहुंच पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
कुतुब मीनार का नाम के नाम पर रखा गया था?
कुतुब मीनार का नाम दिल्ली सल्तनत कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर रखा गया था। इसे बनवाने वाले बख्तियार काकी एक सूफी संत थे। कहीं इसका नाम ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर जाना जाता है।
कुतुबमीनार का निर्माण कब और किसने करवाया था?
भारत के पहले मुस्लिम शासक सुल्तान कुतुब-उद-दीन ऐबक ने 1193 ईस्वी में कुतुब मीनार की स्थापना की थी। पहली और दूसरी मंजिल का निर्माण कुतुब-उद-दीन ऐबक की देखरेख में किया गया था। बाद में (1211 से 1236 तक) मीनार की तीसरी और चौथी मंजिल का निर्माण सुल्तान शम्सुद्दीन इल्तुतमिश की सीधी देखरेख में पूरा हुआ। बाद में, सुल्तान फिरोज शाह तुगलक के शासनकाल के दौरान, 5 वीं मंजिल का निर्माण पूरा हुआ।
कुतुब मीनार को बनाने में कितना समय लगा?
सुल्तान कुतुब-उद-दीन ऐबक ने 1193 ईस्वी में कुतुब मीनार का निर्माण शुरू किया था। कुतुब-उद-दीन द्वारा केवल कुतुब मीनार की पहली मंजिल को पूरा किया गया था। शेष 4 मंजिलों को बाद में उनके उत्तराधिकारी ने बनवाया था।
अफगानिस्तान में जाम मीनार के बाद कुतुब मीनार का निर्माण किया गया था। कुतुब मीनार के नामकरण के पीछे दो सिद्धांत हैं, पहला इसका नाम इसके निर्माता कुतुब उद्दीन ऐबक के नाम पर रखा गया है। दूसरा, ऐसा माना जाता है कि इसे ट्रांसऑक्सियाना से आए प्रसिद्ध सूफी संत के सम्मान में बनाया गया था।
कुतुब मीनार के बारे में रोचक तथ्य
कुतुब मीनार के निर्माण का काम 1199 में शुरू हुआ और 1398 में पूरा हुआ।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 में इसका निर्माण शुरू किया और उसके उत्तराधिकारी और दामाद शमशुद्दीन इल्तुतमिश ने 1368 में इसे पूरा किया।
आपको बता दें कि कुतुब मीनार पूरी तरह सीधी नहीं है, थोड़ी झुकी हुई है, यह देखने लायक रहस्य भी है।
कुतुब मीनार के आसपास के स्थान को कुतुब परिसर के नाम से जाना जाता है। यह पूरा इलाका वर्ल्ड हेरिटेज साइट के अंतर्गत आता है।
इस मीनार पर अरबी और नागरी लिपि में शिलालेख लिखे गए हैं।
कुतुब मीनार के सामने एक लोहे का खंभा है, जिस पर अभी तक जंग नहीं लगी है।
कुतुब मीनार में कितनी सीढ़ियाँ हैं?
72.5 मीटर ऊंचे कुतुब मीनार के अंदर 5 मंजिलों में कुल 379 सीढ़ियां हैं।